Month: जुलाई 2021

परमेश्वर द्वारा प्रदत्त आनंद

जब दिव्या घर से बाहर होती है, वह हमेशा दूसरों के सामने मुस्कुराने की कोशिश करती है । यह उसका दूसरे लोगों तक पहुंचने का तरीका है जिन्हें एक मित्रवत चेहरा देखने की जरूरत है । उसे बदले में ज़्यादातर, एक वास्तविक मुस्कान मिलता है । परन्तु एक ऐसे समय में जब दिव्या को चेहरे पर मास्क पहनना पड़ा, उसने यह एहसास किया कि लोग अब उसका मुंह नहीं देख सकते थे, इस प्रकार कोई भी उसकी मुस्कराहट नहीं देख पाता था । यह दुख:द है, उसने सोचा, लेकिन मैं रुकने वाली नहीं l शायद वे मेरे आँखों में देखेंगे कि मैं मुस्कुरा रही हूँ ।

उस विचार के पीछे वास्तव में थोड़ा विज्ञान है । मुंह के कोने के लिए और वह जो आँखों को सिकोड़ती हैं वे मांसपेशियां एक के पीछे एक काम कर सकती हैं l यह डूशेन(Duchenne) मुस्कराहट कहलाता है और इसे “आँखों से मुस्कुराना” वर्णित किया गया है ।

नीतिवचन हमें याद दिलाता है कि “आँखों की चमक से मन को आनंद होता है” और “मन का आनंद अच्छी औषधि है” (15:30; 17:22) । अक्सर, प्रभु के बच्चों की मुस्कुराहट, उस अलौकिक आनंद से उपजती है जो हमारे पास है । यह परमेश्वर से एक उपहार है जो निरंतर हमारे जीवनों में उमंडता है, जब हम उन लोगों को उत्साहित करते हैं जो भारी बोझ उठाकर चल रहे हैं या उनके साथ साझा करते हैं जो अपने जीवन के सवालों के जबाब ढूंढ रहे हैं । यहाँ तक कि जब हम पीड़ा अनुभव करते हैं, तब भी हमारा आनंद चमक सकता है ।

जब जीवन अँधेरामय महसूस होता है, ख़ुशी का चुनाव करें l आपकी मुस्कराहट परमेश्वर के प्रेम और आपके जीवन में उसकी उपस्थिति के प्रकाश को प्रतिबिम्बित करने वाली आशा की एक खिड़की बनने दें l 

यीशु के लिए खिलना

मैं ट्यूलिप्स(tulips) के बारे में सच्चा नहीं था l मेरी छोटी बेटी की ओर से एक तोहफा, पैक किये हुए कन्द/बल्ब उसके साथ विदेश यात्रा के बाद उसके साथ अमरीका की यात्रा किये l इसलिए मैंने उन बल्बों को बड़े उत्सुकता के साथ स्वीकार करने का दिखावा किया, जितना कि मैं बेटी के साथ फिर से मिलने के लिए उत्सुक थी । पर ट्यूलिप मेरे कम पसंदीदा फूल हैं l कई जल्दी खिलते हैं और शीघ्र मुर्झा जाते हैं l इसी बीच, जुलाई के मौसम ने, उसे लगाने के लिए काफी गर्म हो गया l 

अंततः, हलांकि, सितम्बर के अंत में, मैंने “मेरी बेटी के” फूलों के बल्ब को लगा दिया──उसके बारे में सोचते हुए और इस प्रकार उसे प्रेम से लगाया । चट्टानी मिटटी को हर बार पलटने के साथ, उन फूलों के बल्ब के बारे में मेरी चिंता बढ़ती गयी l उन पौधों के स्थान को आखरी बार थपथपाने के बाद, बसंत के मौसम में फिर से खिलते हुए ट्यूलिप देखने की आशा में मैंने उन कन्दों/बल्ब को आशीष दी, “आराम से सो जाओ l” 

मेरी छोटी परियोजना हमें एक दूसरे से प्रेम करने के लिए परमेश्वर के आह्वान का एक नम्र अनुस्मारक बन गया, भले ही हम एक दूसरे के “पसंदीदा” न हों । एक दूसरे के दोषपूर्ण “खरपतवार” के आगे भविष्य में देखते हुए, हम परमेश्वर द्वारा दूसरों के प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए सक्षम हैं, यहाँ तक कि अनिश्चित स्वभाव के मौसमों में भी l फिर समय के साथ, हमलोगों के होते हुए भी आपसी प्रेम खिलता है l यीशु ने कहा, “यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (पद.35) l उसके द्वारा छांटें जाने के बाद, हम धन्य किये जाते हैं कि हम खिलें, जैसे कि मेरे ट्युलिप अगले वसंत में खिले──उसी सप्ताहांत में मेरी बेटी एक छोटी मुलाकात के लिए आयी l “देखो क्या खिल रहे हैं!” मैंने कहा l अंत में, मैं l 

प्रार्थना और धूल और तारे के विषय

अदिति और आकाश तुरंत बच्चा चाहते थे, लेकिन उनके चिकित्सक ने उनसे कहा कि वे एक बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं । अदिति ने एक मित्र से कहा : “मैंने खुद को परमेश्वर  के साथ कुछ बहुत ही ईमानदार बात करते हुए पाया ।” लेकिन यह उन “बातचीत” में से एक के बाद उसने और आकाश ने अपने पास्टर से बात की, जिन्होंने उन्हें अपने चर्च में गोद लेने की सेवा के बारे में बताया l एक साल बाद उन्हें एक दत्तक बच्चे की आशीष मिली l 

उत्पति 15 में, बाइबल हमें एक और ईमानदार बातचीत के बारे में बताती है──यह संवाद अब्राम और परमेश्वर के बीच था । परमेश्वर ने उससे कहा था, “हे अब्राम, मत डर; . . . तेरा अत्यन्त बड़ा प्रतिफल मैं हूँ” (पद.1) । परन्तु, अपने भविष्य के बारे में परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विषय अनिश्चित, अब्राम ने खुलकर उत्तर दिया : “हे प्रभु यहोवा मैं तो निर्वंश हूं . . . अतः तू मुझे क्या देगा?” (पद.2) l 

पूर्व में परमेश्वर ने अब्राम से वायदा किया था, “मैं तेरे वंश को पृथ्वी की धूल के किनकों के समान बहुत करूंगा,”(13:16) अब अब्राम ने──बहुत ही मानवीय क्षण में── उसे परमेश्वर को याद दिलाया । लेकिन परमेश्वर के उत्तर पर ध्यान दे : उसने अब्राम को ऊपर देख

कर “तारागन को गिन──क्या तू उनको गिन सकता है?,” कहकर उसे आश्वस्त किया, और यह संकेत दिया कि उसका वंश ऐसा ही होगा (15:5) ।

परमेश्वर कितना अच्छा है, न केवल ऐसी स्पष्ट प्रार्थना की अनुमति देने में लेकिन कोमलता से अब्राम को आश्वस्त करने में भी! बाद में, परमेश्वर उसका नाम अब्राहम (बहुतों का पिता) कर दिया l अब्राहम की तरह, आप और मैं खुले तौर पर उसके साथ अपना हृदय साझा कर सकते हैं और जान सकते हैं कि हम उस पर करने के लिए भरोसा कर सकते हैं जो हमारे लिए और दूसरों के लिए सर्वोत्तम है l 

परमेश्वर हमें उठाए चलता है

2015 में, बाढ़ ने चेन्नई के शहर को तेज बारिश, हवा और जल भराव द्वारा जलप्लावित

कर दिया जिससे बहुत लोग प्रभावित हुए──देश के इतिहास में एक सबसे खराब प्राकृतिक आपदा । जब वह अपने एक महीने के बच्चे के साथ घर में शरण लिए हुए था, वह जानता था कि उसे वह स्थान छोड़ना होगा l यद्यपि वह दृष्टिहीन था, उसे अपने बेटे को बचाना था l कोमलता से, उसने अपने बच्चे को बचाने के लिए उसे अपने कन्धों पर रखा और ठुड्डी तक पानी में उतर गया l 

यदि एक सांसारिक पिता बड़ी बाधा का सामना करते हुए अपने बेटे की मदद करने के लिए उत्सुक था, तो स्वर्गीय पिता के बारे में सोचे कि वह अपने बच्चों के बारे में और कितना अधिक चिंतित रहता है । पुराने नियम में, मूसा ने याद किया कि परमेश्वर के लोगों द्वारा डगमगाते विश्वास के खतरे का अनुभव करने के बावजूद, वह उन्हें उठाकर लिए चला l उसने इस्राएलियों को याद दिलाया कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया, मरुभूमि में उनके लिए भोजन और जल का प्रबंध किया, उनके शत्रुओं से लड़ा, बादल और आग के खम्भे द्वारा इस्राएलियों का मार्गदर्शन करता रहा l अनेक तरीकों पर विचार करते हुए जिसके द्वारा परमेश्वर ने उनके पक्ष में काम किया था, मूसा ने कहा, “फिर तुम ने जंगल में भी देखा, कि जिस रीति कोई पुरूष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हम को इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिस से हम आए हैं, उठाये रहा” (व्यवस्थाविवरण 1:31) l

जंगल की यात्रा इस्राएलियों के लिए सरल नहीं थी, और उनका विश्वास कई बार घटा l लेकिन वह परमेश्वर की सुरक्षा और प्रावधान के सबूत से भरा हुयी थी──पिता का एक बेटे को उठाकर लिए चलने की तस्वीर──कोमलता, साहस और आत्मविश्वास के साथ──एक अद्भुत तस्वीर है कि परमेश्वर ने कैसे इस्राएलियों की देखभाल की । हमारे द्वारा चुनौतियों का सामना करने के बावजूद जो हमारे विश्वास की परीक्षा करता है, हम याद कर सकते हैं कि परमेश्वर वहां रहकर हमें उसमें से लिए चल रहा है l 

सबसे बड़ी स्वर समता

जब एक प्रमुख अंग्रेजी पत्रिका ने दुनिया के एक सौ इक्यावन प्रमुख संगीतकारों को बीस की सूची बनाने के लिए कहा, जिन्हें वे अब तक की सबसे बड़ी स्वर-समता(symphony) मानते थे, तो बीथोवन की रचनाएँ शीर्ष पर आ गईं l वह काम जिसके शीर्षक का मतलब है “वीरतापूर्ण/बहादुराना(heroic),” दुनिया भर में राजनितिक अशांति के दौरान लिखा गया था l लेकिन यह बीथोवन के अपने संघर्ष से भी निकला क्योंकि उन्होंने धीरे-धीरे सुनने की शक्ति खो दी थी l यह संगीत भावना की पराकाष्ठ की अस्थिरता का आह्वान करता है जो व्यक्त करता है कि चुनौतियों का सामना करते हुए मानव होने और जीवित रहने का क्या मतलब होता है l आनंद, दुःख, और अंतिम विजय की अविवेचित उतार-चढ़ाव में बीथोवन की तीसरी सिम्फनी/स्वर-समता मानव आत्मा के प्रति अमर उपहार माना जाता है l  

कुरिन्थुस की कलीसिया को लिखी पौलुस की पहली पत्री समान कारणों से हमारे ध्यान के योग्य है l संगीत की गणना/score के बजाय प्रेरित शब्दों के द्वारा वह आशीष में बढ़ता है (1:4-9), आत्मा को कुचलने वाले संघर्ष के दुःख में कम होता है (11:17-22), और वरदान प्राप्त लोगों के सामंजस्य में फिर उठता है जो एक साथ एक दूसरे और प्रभु की महिमा के लिए काम करते है (12:6-7) l 

फर्क यहाँ यह है कि हम अपने मनुष्य की आत्मा की जीत को परमेश्वर की आत्मा के प्रति  श्रद्धांजलि के रूप में देखते हैं l जैसे पौलुस हमसे मिलकर खुद को पिता के द्वारा एक साथ बुलाया हुआ, पुत्र के द्वारा अगुआई प्राप्त, और उसके आत्मा के द्वारा प्रेरित──शोर के लिए नहीं, परन्तु हमारी सबसे बड़ी सिम्फनी/समस्वरता में योगदान देने के लिए एक साथ मसीह के अवर्णित प्रेम, का अनुभव करने के लिए आग्रह करता है ।